‘‘डियर शिवॉय, क्या तुम्हें नहीं लगता कि इस आकर्षक महिला मधु शि क्रॉय का चेहरा मिनी टिनॉज, जो कल तुम्हारे साथ डेट पर थी, से मैच हो रहा है।’’
‘‘ओ मॉय यंग फ्रेन्ड! इससे क्या फर्क पड़ता है! तुम तो क्रॉय को एन्ज्वॉय करो बस!’’
‘‘फर्क पड़ता है डियर शिवॉय! यदि तुम्हारी मिनी से इसका कोई सीधा कनेक्शन हो तो वह क्रॉय से मेरी डेटिंग कराने में मदद कर सकती है। हिन्दोस्तान में अभी-भी इतना तो चलता ही है!’’
‘‘तुम सोच तो ठीक रहे हो, मॉन्गलम! मैं जरूर तुम्हारी मदद करने के लिए मिनी को तैयार करूँगा।’’
‘‘इसका मीनिंग हुआ, उसका इससे कोई कनेक्शन है?’’
‘‘हाँ, मिनी ने बताया है मुझे कि उसको क्रॉय ने अपने सेकेन्ड ‘लिव इन ब्याय’ से जन्म दिया था। और यह भी कि आजकल क्रॉय उसके पड़ोस में ही रहती है और पिछले एक वर्ष से अकेली है।’’
‘‘ओह! इट मीन्स, इन ओल्डर सेन्स, मिनी इज दा डॉटर ऑव दिस हैंडसम क्रॉय!’’
‘‘ओह! शिट् यार!! इस तरह इतिहास में घुसोगे तो तुम डेट पर एन्ज्वॉय कैसे करेागे?’’
‘‘ह्वाट! क्या प्राब्लेम है इसमें?’’
‘‘क्योंकि उस सेन्स में तुम भी क्रॉय के बेटे हो जाओगे!’’
‘‘हाउ..ऽ..?...?? क्या कह रहे हो तुम...?’’ मॉन्गलम बुरी तरह चौंक पड़ा।
‘‘यही सच है, डियर! क्रॉय का पहला ‘लिव इन ब्याय’ मैं और मेरी पहली ‘लिव इन गर्ल’ क्रॉय थी। अब से करीब वाईस वर्ष पूर्व हम दोनों दो वर्ष साथ रहे। खूब एन्ज्वॉय किया। उसी बीच तुम दुनिया में आये। हम दोनों ने एग्रीमेंट के मुताबिक चाइल्ड केयर हॉस्टल को अपने-अपने हिस्से के पच्चीस-पच्चीस लाख रूपये डोनेट करके तुम्हारी देखभाल की व्यवस्था की और अलग हो गये।’’
‘‘वाह! हाउ मच इन्ट्रेस्टिंग दिस!! डियर शिवॉय, इट मीन, यू आर माय डैड! ...डैड!! ...डैड!!!’’ उमंग से उछलता हुआ-सा मॉन्गलम शिवॉय को अपनी बाहों में भींचने ही वाला था कि लोगों की शिकायती नजरों का आभास होने के कारण अपने को नियंत्रित किया!
शिवॉय ने भी उसे एक तरफ खींचते हुए नसीहत दी- ‘‘जरा धीमे बात करो और खुद को कन्ट्रोल में रखो। और हाँ, तुम इस तरह इतिहास में नहीं खो सकते मॉन्गलम! आज समय एक फैला हुआ प्लॉट नहीं, केवल एक बिन्दु है, जिसे हम अपने तरीके से एन्ज्वॉय करते हैं।’’
‘‘तुम ठीक कहते हो शिवॉय! लेकिन इस समय बिन्दु पर मेरे लिए यह जानना बेहद इन्ट्रेस्टिंग और एक्साइटिंग होगा कि क्रॉय मॉम के रूप में और तुम डैड के रूप में एक साथ मेरे प्रति कैसे वीहैव करते हो! मेरे अन्दर यह जानने की बेचैनी हो रही है कि सौ वर्ष पूर्व, जब समय एक फैला हुआ प्लॉट होता था, मॉम-डैड के साथ होने पर एक सन को कैसा लगता था!’’
"जब समय एक बिंदु" एक अच्छा प्रयोगात्मक प्रयास है परंतु अंग्रेज़ी की अधिकता से बचा जा सकता था।पर प्रयोग है तो अलोचना तो होगी ही।नयी पीढ़ी यूँ ही चलेगी।
ReplyDeleteराजेश"ललित"शर्मा