उमेश महादोषी
फेस बुक की सड़क पर
‘‘आज पहली अप्रैल है!’’
‘‘तो...?’’
‘‘तो क्या... कुछ नहीं!’’
‘‘मतलब...?’’
‘‘मतलब क्या... आज पहली अप्रैल है!’’
‘‘बिना बात बोलते हो... बेवकूफ... चुप रहा करो!’’
‘‘....!’’
‘‘तभी कहीं से आवाज आती है... कोरोना पूरे देश में तेजी से फैल रहा है... लगभग चौदह सौ कन्फर्म हो चुके हैं... पेंतीस डैथ हो चुकी हैं...’’
‘‘हा..हा...हा....हा...’’
‘‘चुप रहो! ....कोरोना सचमुच फैल रहा है...’’
‘‘इसीलिए तो मैं घर में बन्द हूँ...’’
‘‘नहीं, तुम घर में बन्द नहीं हो... मैं देख रहा हूँ... तुम और तुम्हारे दोस्त सरेआम बेतरतीब सड़क पर दौड़ रहे हो... खुद भी मरोगे, दूसरों को भी मारोगे..’’
‘‘सड़क पर...? ...मरूँगा ...मारूँगा... क्या कह...??’’
‘‘हाँ... फेसबुक की सड़क पर...’’
‘‘पर.. आज तो पहली अप्रैल है...’’
‘‘.... ...!!!’’ उसने माथा पीट लिया।
फेस बुक की सड़क पर
‘‘आज पहली अप्रैल है!’’
‘‘तो...?’’
‘‘तो क्या... कुछ नहीं!’’
‘‘मतलब...?’’
‘‘मतलब क्या... आज पहली अप्रैल है!’’
‘‘बिना बात बोलते हो... बेवकूफ... चुप रहा करो!’’
‘‘....!’’
‘‘तभी कहीं से आवाज आती है... कोरोना पूरे देश में तेजी से फैल रहा है... लगभग चौदह सौ कन्फर्म हो चुके हैं... पेंतीस डैथ हो चुकी हैं...’’
‘‘हा..हा...हा....हा...’’
‘‘चुप रहो! ....कोरोना सचमुच फैल रहा है...’’
‘‘इसीलिए तो मैं घर में बन्द हूँ...’’
‘‘नहीं, तुम घर में बन्द नहीं हो... मैं देख रहा हूँ... तुम और तुम्हारे दोस्त सरेआम बेतरतीब सड़क पर दौड़ रहे हो... खुद भी मरोगे, दूसरों को भी मारोगे..’’
‘‘सड़क पर...? ...मरूँगा ...मारूँगा... क्या कह...??’’
‘‘हाँ... फेसबुक की सड़क पर...’’
‘‘पर.. आज तो पहली अप्रैल है...’’
‘‘.... ...!!!’’ उसने माथा पीट लिया।